Tuesday, 16 December 2014

निर्भया कांड के दोषी को मिले फांसी

निर्भया कांड के दोषी को मिले फांसी

Publish Date:Tue, 16 Dec 2014 07:55 PM (IST) | Updated Date:Tue, 16 Dec 2014 07:55 PM (IST)
निर्भया कांड के दोषी को मिले फांसी
रोसड़ा, संस : दिल्ली में घटित निर्भया कांड के दो वर्ष बाद भी दोषियों को सजा नहीं मिलने पर विरोध जताते हुए रोसड़ावासियों ने जुलूस के साथ प्रदर्शन किया। निर्भया रेप कांड के दोषी को फांसी पर लटकाओ, हमारी मां-बहनों को सुरक्षित करो आदि गगन भेदी नारों के बीच दर्जनों युवाओं ने सम्पूर्ण शहर में मार्च किया। शहर के अम्बेदकर चौक से निकला जुलूस सिनेमा चौक एवं महावीर चौक होते हुए प्रखंड कार्यालय चौक पर पहुंचा। आंदोलन के संयोजक विक्रम कुमार ने दो वर्ष बीतने के बाद भी निर्भया रेप कांड के दोषियों को सजा नहीं मिलने को सरकार की अक्षमता करार दिया। उन्होंने कहा कि जब तक आबरू से खेलने वाले द¨रदों को फांसी पर नहीं लटकाया जाएगा, तब तक हमारी मां-बहने सुरक्षित नहीं रह पाएगी। मौके पर राजेश कुमार रंजन, मुकेश कुमार, राजीव चौरसिया, प्रमोद महतो एवं साहेब कुमार आदि ने भी अपना विचार व्यक्त करते हुए सरकार एवं न्यायालय से इस ओर कड़ा कदम उठाने की मांग की है।

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Tuesday, 8 April 2014

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एक ऐसा पन्ना जहां आपको हर तरह की जानकारी एक क्लिक पर मिल जाएगी। पासपोर्ट के लिए अप्लाइ करना हो या बर्थ सर्टिफिकेट बनवाना हो या क्रेडिट कार्ड के फ्रॉड की शिकायत करनी हो, हर जानकारी का सोर्स है यहां। आपको साइट-दर-साइट भटकने की या सर्च करने की ज़रूरत नहीं है। हम आपको सही जगह पर ले जाकर सही सूचना दिलाने का काम करेंगे। यह लिस्ट दिन-ब-दिन बढ़ती रहेगी। अगर आपको जो जानकारी चाहिए, उस सर्विस का लिंक इस लिस्ट में नहीं है तो हमे बताएं, हम उसका पता करेंगे और इसे अपडेट करेंगे।


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Thursday, 3 April 2014

आदमी हर काम फटाफट करना चाहता है

एक आदमी को किसी ने सुझाव दिया कि दूर से पानी लाते हो, क्यों नहीं अपने घर के पास एक कुआं खोद लेते? हमेशा के लिए पानी की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा। सलाह मानकर उस आदमी ने कुआं खोदना शुरू किया। लेकिन सात-आठ फीट खोदने के बाद उसे पानी तो क्या, गीली मिट्टी का भी चिह्न नहीं मिला। उसने वह जगह छोड़कर दूसरी जगह खुदाई शुरू की। लेकिन दस फीट खोदने के बाद भी उसमें पानी नहीं निकला। उसने तीसरी जगह कुआं खोदा, लेकिन निराशा ही हाथ लगी। इस क्रम में उसने आठ-दस फीट के दस कुएं खोद डाले, पानी नहीं मिला। वह निराश होकर उस आदमी के पास गया, जिसने कुआं खोदने की सलाह दी थी।
उसे बताया कि मैंने दस कुएं खोद डाले, पानी एक में भी नहीं निकला। उस व्यक्ति को आश्चर्य हुआ। वह स्वयं चलकरउस स्थान पर आया, जहां उसने दस गड्ढे खोद रखे थे। उनकी गहराई देखकर वह समझ गया। बोला, 'दस कुआं खोदने की बजाए एक कुएं में ही तुम अपना सारा परिश्रम और पुरूषार्थ लगाते तो पानी कबका मिल गया होता। तुम सब गड्ढों को बंद कर दो, केवल एक को गहरा करते जाओ, पानी निकल आएगा।'
कहने का मतलब यही कि आज की स्थिति यही है। आदमी हर काम फटाफट करना चाहता है। किसी के पास धैर्य नहीं है। इसी तरह पचासों योजनाएं एक साथ चलाता है और पूरी एक भी नहीं हो पाती।

यह तेरा दिल समझता है

कोई दीवाना कहता हैं कोई पागल समझता है 

मगर धरती कि बेचैनी को बस बादल समझता है 


मैं तुझसे दूर कैसा हु ,तू मुझसे दूर कैसी है 


यह तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है

बहुत मगरूर हो तुम भी

बहुत मगरूर हो तुम भी , बहुत मगरूर है हम भी !

बहुत मशहूर हो तुम भी , बहुत मशहूर है हम भी !

स्वयं से दूर हो तुम भी , स्वयं से दूर है हम भी !

अतः मजबूर हो तुम भी , अतः मजबूर है हम भी !

जो होगा वो होकर रहेगा

गुजरी हुई जिंदगी को
कभी याद न कर,

तकदीर मे जो लिखा है
उसकी फर्याद न कर...

जो होगा वो होकर रहेगा,

तु कलकी फिकर मे
अपनी आज की हसी बर्बाद न कर..

Sunday, 9 February 2014

Janha se apne na dikhe wo......

Janha yad na aye wo tanhai kis kam ki, Bigde rishte na bane to khudai kis kam ki, Beshak apni manzil tak jana hai, Par janha se apne na dikhe wo uchai kis kaam ki…

Maar denge ye rajniti karne wale

Aaye hai shama me aag lagane, Aapki najaro me sach ki aas jagane, Jara sambhal kar chalo duniya ki sarak par, Warna maar denge ye rajniti karne wale,

Bharat mata ka aanchal nilaam nahi hone denge

Aajadi ki kabhi shaam nahi hone denge, Sahidon ki kurbani badnaam nahi hone denge, Bachi ho jo ek bund bhi garam lahu ki… Tab tak bharat mata ka aanchal nilaam nahi hone denge.

Must Poem In India

हे भारत के राम जगो ...........मै तुम्हे जगाने आया हूँ और सौ धर्मो का धर्म एक बलिदान बताने आया हूँ ! सुनो हिमालय कैद हुआ है दुश्मन की जंजीरों में आज बतादो कितना पानी है भारत के वीरो में खड़ी शत्रु की फौज द्वार पर आज तुम्हे ललकार रही सोये सिंह जगो भारत की माता तुम्हे पुकार रही..रण के बिगुल बज रहे उठो मोह निंद्रा त्यागो पहला शीष चढाने वाले माँ के वीर पुत्र जागो! बलिदानों के वज्रदंड पर देशभक्त की ध्वजा जगे....रण के कंकण पहने है वे राष्ट्रहित की ध्वजा जगे ,अग्निपथ के पंथी जागो शीष हथेली पर रखकर और जागो रक्त के भक्त लाडले और जागो सिर के सौदागर.....खप्पर वाली काली जागे.....जागे दुर्गा बर्बंडा और रक्त बीज का रक्त चाटने वाली जागे चामुंडा नर मुण्डो की माला वाला जगे कपाली कैलाशी और रणचंडी नाचे घर घर मौत कहे प्यासी प्यासी...रावण का वध स्वयं करूंगा कहने वाला राम जगे........ और कौरव शेष न बचे एक कहने वाला श्याम जगे और परशुराम का परशा और रघुनन्दन का बाण जगे और यजुनंदन का चक्र जगे और अर्जुन का धनुष महान जगे, चोटी वाला चाणक्य जगे.......पौरुष परश महान जगे सेल्युकस को कसने वाला चन्द्रगुप्त बलवान जगे, हठी हमीर जगे जिसने झुकना कभी न जाना, जगे पद्मिनी का जौहर, जगे केसरिया बाना... देशभक्त का जीवित झंडा आज़ादी का दीवाना और रण प्रताप का सिंह जगे और हल्दी घटी का राणा,दक्षिण वाला जगे शिवाजी......खून शाह जी का ताजा मरने की हठ ठाना करते विकट मराठों के राजा छत्रसाल बुंदेला जागे और पंजाबी कृपाण जगे और दो दिन जिया शेर की माफिक वो टीपू सुलतान जगे कलवोहे का जगे मोर्चा और जगे झाँसी की रानी अहमदशाह जगे लखनऊ का जगे कुंवर सिंह बलिदानी कलवोहे का जगे मोर्चा और पानीपत का मैदान जगे और भगत सिंह फांसी जागे और राजगुरु के प्राण जगे, जिसकी छोटी सी लकुटी से संगीने भी हार गयी.......बापू ! हिटलर को जीता वो फौजे भी सात समुन्दर पार गयी मानवता का प्राण जगे और भारत का अभिमान जगे उस लकुटी और लंगोटी वाले बापू का बलिदान जगे..... आज़ादी की दुल्हन को जो सबसे पहले चूम गया स्वयं कफ़न बाँध कर सातों धाम घूम गया उस सुभाष की आन जगे और उस सुभाष की शान जगे ये भारत देश महान जगे ये भारत की संतान जगे.............झोली ले कर मांग रहा हूँ कोई शीष दान दे दो !भारत का भैरव भूखा है ! कोई प्राण दान दे दो .........खड़ी मृत्यु की दुल्हन कुंवारी कोई ब्याह रचा लो कोई मर्द अपने नाम की चूड़ी पहना दो कौन वीर ह्रदय रक्त से इसकी मांग भरेगा कौन कफ़न का पलंग बनाकर उस पर शयन करेगा !........"औ ......कश्मीर हड़पने वालो कान खोल सुनते जाना भारत के केसर की कीमत तो केवल सिर है और कोहिनूर की कीमत जूते पांच अजर अमर है !!........" रण के खेतों में छाएगा जब अमर मृत्यु का सन्नाटा लाशो की जब रोटी होगी और बारूदों का आटा सन-सन करते वीर चलेंगे ज्यों बामी से फ़न वाला जो हमसे टकराएगा वो चूर चूर हो जायेगा इस मिट्टी को छूने वाला मिट्टी में मिल जायेगा......मैं घर घर इंकलाब की आग जलाने आया हूँ ! हे भारत के राम जगो