Sunday, 9 February 2014
Janha se apne na dikhe wo......
Janha yad na aye wo tanhai kis kam ki,
Bigde rishte na bane to khudai kis kam ki,
Beshak apni manzil tak jana hai,
Par janha se apne na dikhe wo uchai kis kaam ki…
Maar denge ye rajniti karne wale
Aaye hai shama me aag lagane, Aapki najaro me sach ki aas jagane, Jara sambhal kar chalo duniya ki sarak par, Warna maar denge ye rajniti karne wale,
Bharat mata ka aanchal nilaam nahi hone denge
Aajadi ki kabhi shaam nahi hone denge, Sahidon ki kurbani badnaam nahi hone denge, Bachi ho jo ek bund bhi garam lahu ki… Tab tak bharat mata ka aanchal nilaam nahi hone denge.
Must Poem In India
हे भारत के राम जगो ...........मै तुम्हे जगाने आया हूँ और सौ धर्मो का धर्म एक बलिदान बताने आया हूँ ! सुनो हिमालय कैद हुआ है दुश्मन की जंजीरों में आज बतादो कितना पानी है भारत के वीरो में खड़ी शत्रु की फौज द्वार पर आज तुम्हे ललकार रही सोये सिंह जगो भारत की माता तुम्हे पुकार रही..रण के बिगुल बज रहे उठो मोह निंद्रा त्यागो पहला शीष चढाने वाले माँ के वीर पुत्र जागो! बलिदानों के वज्रदंड पर देशभक्त की ध्वजा जगे....रण के कंकण पहने है वे राष्ट्रहित की ध्वजा जगे ,अग्निपथ के पंथी जागो शीष हथेली पर रखकर और जागो रक्त के भक्त लाडले और जागो सिर के सौदागर.....खप्पर वाली काली जागे.....जागे दुर्गा बर्बंडा और रक्त बीज का रक्त चाटने वाली जागे चामुंडा नर मुण्डो की माला वाला जगे कपाली कैलाशी और रणचंडी नाचे घर घर मौत कहे प्यासी प्यासी...रावण का वध स्वयं करूंगा कहने वाला राम जगे........ और कौरव शेष न बचे एक कहने वाला श्याम जगे और परशुराम का परशा और रघुनन्दन का बाण जगे और यजुनंदन का चक्र जगे और अर्जुन का धनुष महान जगे, चोटी वाला चाणक्य जगे.......पौरुष परश महान जगे सेल्युकस को कसने वाला चन्द्रगुप्त बलवान जगे, हठी हमीर जगे जिसने झुकना कभी न जाना, जगे पद्मिनी का जौहर, जगे केसरिया बाना... देशभक्त का जीवित झंडा आज़ादी का दीवाना और रण प्रताप का सिंह जगे और हल्दी घटी का राणा,दक्षिण वाला जगे शिवाजी......खून शाह जी का ताजा मरने की हठ ठाना करते विकट मराठों के राजा छत्रसाल बुंदेला जागे और पंजाबी कृपाण जगे और दो दिन जिया शेर की माफिक वो टीपू सुलतान जगे कलवोहे का जगे मोर्चा और जगे झाँसी की रानी अहमदशाह जगे लखनऊ का जगे कुंवर सिंह बलिदानी कलवोहे का जगे मोर्चा और पानीपत का मैदान जगे और भगत सिंह फांसी जागे और राजगुरु के प्राण जगे, जिसकी छोटी सी लकुटी से संगीने भी हार गयी.......बापू ! हिटलर को जीता वो फौजे भी सात समुन्दर पार गयी मानवता का प्राण जगे और भारत का अभिमान जगे उस लकुटी और लंगोटी वाले बापू का बलिदान जगे..... आज़ादी की दुल्हन को जो सबसे पहले चूम गया स्वयं कफ़न बाँध कर सातों धाम घूम गया उस सुभाष की आन जगे और उस सुभाष की शान जगे ये भारत देश महान जगे ये भारत की संतान जगे.............झोली ले कर मांग रहा हूँ कोई शीष दान दे दो !भारत का भैरव भूखा है ! कोई प्राण दान दे दो .........खड़ी मृत्यु की दुल्हन कुंवारी कोई ब्याह रचा लो कोई मर्द अपने नाम की चूड़ी पहना दो कौन वीर ह्रदय रक्त से इसकी मांग भरेगा कौन कफ़न का पलंग बनाकर उस पर शयन करेगा !........"औ ......कश्मीर हड़पने वालो कान खोल सुनते जाना भारत के केसर की कीमत तो केवल सिर है और कोहिनूर की कीमत जूते पांच अजर अमर है !!........" रण के खेतों में छाएगा जब अमर मृत्यु का सन्नाटा लाशो की जब रोटी होगी और बारूदों का आटा सन-सन करते वीर चलेंगे ज्यों बामी से फ़न वाला जो हमसे टकराएगा वो चूर चूर हो जायेगा इस मिट्टी को छूने वाला मिट्टी में मिल जायेगा......मैं घर घर इंकलाब की आग जलाने आया हूँ ! हे भारत के राम जगो
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